Jainkathalok.com recives any estimated n/a unique visitors and n/a unique page views per day. Revenue gained from these much visits may be n/a per day from various advertising sources. The estimated worth of site is n/a.
- Website Age
n/a
- Alexa Rank no-data
- Country
United States
- IP Address
66.96.147.113
google ads
HTML SIZE INFORMATION
Text / Code Ratio
25.81 %
jainkathalok.com has a website text/code ratio of 25.81 %. Search engine crawlers tend to not pick up pages with inadequate content.
IMPORTANT HTML TAGS AND COUNTS
Titles
H1
H2
| No |
Text |
| 1 |
विधाओं के लिए साधना |
| 2 |
एक घोषणा |
| 3 |
जैन धर्म और दर्शन में विधा |
| 4 |
पहले तीर्थंकर : पहले विधादाता : पहले विधाधर |
| 5 |
शब्द मंत्र समान है । शब्द ही आभूषण है । |
| 6 |
व्यवहार का प्रभाव |
| 7 |
पाप की सजा ऐसी भी |
| 8 |
किसीको इतना मजबूर मत बनाओ |
| 9 |
श्रमण भगवान् श्री महावीर स्वामी जी के अभिग्रह |
H3
| No |
Text |
| 1 |
आगम ज्ञान |
| 2 |
ज्ञानवर्धक जैन कथाएँ |
| 3 |
जैन कथाओं के द्वारा जैन दर्शन |
Text Styling
- STRONG99
- B1
- EM17
- I0
- U2
- CITE0
STRONG
| No |
Text |
| 1 |
विधाओं के लिए साधना |
| 2 |
(संपादक : विजय धर्मधुरंधर सुरी) (2) |
| 3 |
संग्राहकः |
| 4 |
आचार्य (2) |
| 5 |
भगवंत |
| 6 |
श्रीमद् (2) |
| 7 |
विजय (2) |
| 8 |
समुद्र |
| 9 |
सूरीश्वर (2) |
| 10 |
जी (2) |
| 11 |
महाराज (2) |
| 12 |
अनुवादकः |
| 13 |
धर्मधुरंधर |
| 14 |
जीवदयाइं |
| 15 |
रमिज्जइ |
| 16 |
, (10) |
| 17 |
इंदियवग्गो |
| 18 |
दमिज्जइ |
| 19 |
सयावि |
| 20 |
। (2) |
| 21 |
दो मित्रों की कहानी है |
| 22 |
| (15) |
| 23 |
एक था राजपुत्र और दूसरा था कसाइपुत्र |
| 24 |
राजपुत्र को गर्भावस्था से ही अहिंसा |
| 25 |
सत्य, संयम |
| 26 |
तप |
| 27 |
त्याग, न्याय |
| 28 |
नीति और कर्तव्यपरायणता के संस्कार मिले थे जबकि कसाइपुत्र को हिंसा |
| 29 |
लूट-पाट |
| 30 |
माया |
| 31 |
राग-द्वेष |
| 32 |
क्रूरता |
| 33 |
घृणा के |
| 34 |
दोनों में रात और दिन जितना अंतर था मगर दोनों की दोस्ती पक्की थी |
| 35 |
इतिहासप्रसिद्ध राजगृही नगरी के बाहर एक उपवन था |
| 36 |
उसमें बारहमासी फलने-फूलने वाले पुष्पों की अनेकानेक क्यारियां थीं |
| 37 |
सबमें सुगंधित फूल देने वाले अलग-अलग पौधे थे |
| 38 |
उपवन के मालिक का नाम था अर्जुन |
| 39 |
उपवन के पास में ही एक मंदिर था । मंदिर में एक यक्ष-प्रतिमा स्थापित थी |
| 40 |
यक्ष के हाथ में एक हज़ार पल भारी एक मुद्गर था अतः सभी जन उस यक्ष को मुद्गरपाणि (हाथ में मुद्गर को धारण करने वाले ) यक्ष के रूप में पहचानते थे |
| 41 |
नगरी |
| 42 |
-- (8) |
| 43 |
कौशांबी |
| 44 |
राजा |
| 45 |
शतानिक |
| 46 |
| (2) |
| 47 |
महारानी |
| 48 |
मृगवती |
| 49 |
मंत्री |
| 50 |
सुगुप्त |
| 51 |
मंत्रीपत्नी |
| 52 |
नंदा |
| 53 |
श्रेष्ठी |
| 54 |
धनावह |
| 55 |
श्रेष्ठिपत्नी |
| 56 |
मूला |
| 57 |
उपाध्याय |
| 58 |
तथ्यकंदी |
| 59 |
छ |
| 60 |
जैन विधा शोध संस्थान |
B
| No |
Text |
| 1 |
(संपादक : विजय धर्मधुरंधर सुरी) |
EM
| No |
Text |
| 1 |
संग्राहकः |
| 2 |
आचार्य (2) |
| 3 |
भगवंत |
| 4 |
श्रीमद् (2) |
| 5 |
विजय (2) |
| 6 |
समुद्र |
| 7 |
सूरीश्वर (2) |
| 8 |
जी (2) |
| 9 |
महाराज (2) |
| 10 |
अनुवादकः |
| 11 |
धर्मधुरंधर |
U
| No |
Text |
| 1 |
(संपादक : विजय धर्मधुरंधर सुरी) (2) |
LINK ANALYSIS
Total Link Count: 33
Internal Link Count
: 31
| No |
Text |
Type |
| 1 |
- |
image |
| 2 |
जैन कथा लोक |
text |
| 3 |
Home |
text |
| 4 |
- |
image |
| 5 |
- |
image |
| 6 |
- |
image |
| 7 |
विधाओं के लिए साधना |
text |
| 8 |
Read more about विधाओं के लिए साधना |
text |
| 9 |
एक घोषणा |
text |
| 10 |
Read more about एक घोषणा |
text |
| 11 |
जैन धर्म और दर्शन में विधा |
text |
| 12 |
Read more about जैन धर्म और दर्शन में विधा |
text |
| 13 |
पहले तीर्थंकर : पहले विधादाता : पहले विधाधर |
text |
| 14 |
Read more about पहले तीर्थंकर : पहले विधादाता : पहले विधाधर |
text |
| 15 |
शब्द मंत्र समान है । शब्द ही आभूषण है । |
text |
| 16 |
Read more about शब्द मंत्र समान है । शब्द ही आभूषण है । |
text |
| 17 |
Log in |
text |
| 18 |
व्यवहार का प्रभाव |
text |
| 19 |
Read more about व्यवहार का प्रभाव |
text |
| 20 |
Log in |
text |
| 21 |
पाप की सजा ऐसी भी |
text |
| 22 |
Read more about पाप की सजा ऐसी भी |
text |
| 23 |
Log in |
text |
| 24 |
किसीको इतना मजबूर मत बनाओ |
text |
| 25 |
Read more about किसीको इतना मजबूर मत बनाओ |
text |
| 26 |
Log in |
text |
| 27 |
श्रमण भगवान् श्री महावीर स्वामी जी के अभिग्रह |
text |
| 28 |
- |
image |
| 29 |
Read more about श्रमण भगवान् श्री महावीर स्वामी जी के अभिग्रह |
text |
| 30 |
Log in |
text |
| 31 |
जैन कथा लोक |
text |
External Link Count
: 2
| No |
Text |
Type |
| 1 |
http://www.ostraparsvanath.com/ |
text |
| 2 |
Devsaran |
text |
Nofollow Link Count
: 0
Title Link Count
: 0
WEBSITE SERVER INFORMATION
- Service Provider (ISP)
- The Endurance International Group, Inc.
- Hosted IP Address
- 66.96.147.113
- Hosted Country
United States
- Host Region
- Massachusetts , Burlington
- Latitude and Longitude
- 42.4958 : -71.1935
WEBSITES USING THE SAME IP ADDRESS
WEBSITES USING THE SAME C CLASS IP